आप जहाँ पर भी हो,
शुरुआत वहीं से कर दीजिए
आगे का रास्ता आपको स्वयं ही दिखना शुरु हो जाएगा।

शुरुआत कैसे करें – क्या यह वास्तव में महत्वपूर्ण है या इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि कम से कम हम शुरुआत तो करें। यह कहानी इसी बारे में है।

पतंगों की एक दुकान पर बहुत सी पतंगे खुले आसमान के नीचे आराम कर रही थी। उन पतंगों में दो पतंगे थी जो कि बहुत ही अच्छी दोस्त थी। ये कहानी है इन दोनों दोस्तों की – रानी और मीरा की।

रानी और मीरा आपस में बात कर रही थी तभी एक हवाई-जहाज जो कि बहुत ऊँचाई पर था,
उनके ऊपर से गुजरता हुआ जाता है। उस हवाई-जहाज को देखकर दोनों ही कहने लगते है कि काश हम भी इतनी ऊँचाई पर उड़ पाते। दोनों ही उस ऊँचाई पर पहुँचने के सपने देखने लग जाते है।

कुछ देर बाद उस दुकान का मालिक आता है और किसी बच्चे को पतंग देने के लिए रानी और मीरा को ले जाने लगता है। तभी रानी दुकान के मालिक से Request करने लगती है कि आप मुझे उस बच्चे को मत दीजिए। दुकानदार ने पूछा क्यों???

तब रानी ने कहा-ये बच्चा अपने साथ कितना कम धागा ले जा रहा है। इतने धागे से तो मैं बहुत ऊँचाई पर उड़ ही नहीं पाऊँगी। मुझे कम ऊँचाई पर कोई खुशी नहीं मिलेगी। प्लीज मुझे किसी ऐसे ग्राहक को देना जिस पर बहुत सारा धागा हो, ऐसा कहकर रानी शांत हो जाती है।

तब दुकान का मालिक मीरा से पूछ्ता है कि क्या तुम्हें जाना है उस बच्चे के साथ।
तब मीरा कुछ देर विचार करती है और फिर उस बच्चे के साथ जाने के लिए हाँ कर देती है। अब मीरा उस बच्चे के साथ चली जाती है। क्यों कि बच्चे के पास धागा कम था तो वह थोड़ी ही ऊँचाई तक उड़ पाती है।

कुछ देर बाद आसमान में एक पतंग तेज रफ्तार के साथ मीरा की ओर आती है और उतनी ही तेजी से मीरा रुपी पतंग को काट देती है।

जानें रानी और मीरा की पूरी कहानी 

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