How to Start Inspirational Story in hindi
शुरुआत कैसे करें – क्या यह वास्तव में महत्वपूर्ण है या इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि कम से कम शुरुआत तो करें।
यह कहानी इसी बारे में है।
सीखते रहने में ही जिंदगी का असली मजा है, अच्छा या बुरा वो पूरी तरह से आप पर ही निर्भर (depend) करता है। अगर हर रोज आप कुछ नया सीखने की कोशिश नहीं कर रहे है तो अवश्य ही आप कहीं न कहीं फसे हुए है और आप ही है जो इस कैद से खुद को आजाद कर सकते है। स्वयं पर विश्वास रखिए और अपनी समस्याओं को समाधान में बदलिए ।
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है सन इन डीप अर्थात संदीप। दोस्तों besthindilink.com में आपका बहुत-बहुत स्वागत है……….
तो चलिए शुरुआत इधर से –
पतंगों की एक दुकान पर बहुत सी पतंगे खुले आसमान के नीचे आराम कर रही थी। उन पतंगों में दो पतंगे थी जो कि बहुत ही अच्छी दोस्त थी। ये कहानी है इन दोनों दोस्तों की – रानी और मीरा की।
रानी और मीरा आपस में बात कर रही थी तभी एक हवाई-जहाज जो कि बहुत ऊँचाई पर था उनके ऊपर से गुजरता हुआ जाता है। उस हवाई-जहाज को देखकर दोनों ही कहने लगते है कि काश हम भी इतनी ऊँचाई पर उड़ पाते। दोनों ही उस ऊँचाई पर पहुँचने के सपने देखने लग जाते है।
कुछ देर बाद उस दुकान का मालिक आता है और किसी बच्चे को पतंग देने के लिए रानी और मीरा को ले जाने लगता है। तभी रानी दुकान के मालिक से Request करने लगती है कि आप मुझे उस बच्चे को मत दीजिए।
दुकानदार ने पूछा क्यों???
तब रानी ने कहा-
ये बच्चा अपने साथ कितना कम धागा ले जा रहा है। इतने धागे से तो मैं बहुत ऊँचाई पर उड़ ही नहीं पाऊँगी। मुझे कम ऊँचाई पर कोई खुशी नहीं मिलेगी। प्लीज मुझे किसी ऐसे ग्राहक को देना जिस पर बहुत सारा धागा हो, ऐसा कहकर रानी शांत हो जाती है।
तब दुकान का मालिक मीरा से पूछ्ता है कि क्या तुम्हें जाना है उस बच्चे के साथ।
तब मीरा कुछ देर विचार करती है और फिर उस बच्चे के साथ जाने के लिए हाँ कर देती है। अब मीरा उस बच्चे के साथ चली जाती है। क्यों कि बच्चे के पास धागा कम था तो वह थोड़ी ही ऊँचाई तक उड़ पाती है।
कुछ देर बाद आसमान में एक पतंग तेज रफ्तार के साथ मीरा की ओर आती है और उतनी ही तेजी से मीरा रुपी पतंग को काट देती है।
तब यह पतंग कटकर किसी दूसरे बच्चे के पास पहुँचती है। लेकिन भाग्य से इस बच्चे के पास धागा पहले वाले बच्चे के मुकाबले कहीं अधिक था। जितनी तेजी से मीरा कटने की वजह से दुखी हुयी थी, उतनी ही तेजी से यह खुश हो जाती है कि अब मैं और भी अधिक ऊँचाई पर पहुँच सकूंगी।
इस बार मीरा काफी अधिक ऊँचाई तक उड़ पा रही थी और उसे एक अलग ही आंनद प्राप्त हो रहा था। तभी एक अन्य पतंग आती है और फिर से मीरा को काट देती है और मीरा फिर से उदास हो जाती है।
इस तरह यह पतंग फिर से किसी और को मिलती है फिर पहले से भी अधिक ऊँचाई पर जाती है और फिर कुछ देर बाद कट जाती है। कटने और उड़ने की यह प्रकिया मीरा के साथ ऐसे ही चलती रही।
लेकिन उस दुकान पर रखी रानी रुपी पतंग अब भी सही समय का इंतजार कर रही थी कि कोई ऐसा ग्राहक आयेगा जिसके पास बहुत सारा धागा होगा और वह उस हवाई-जहाज की ऊँचाई तक पहुँचेगी। परंतु समय बीतता ही जा रहा था और समय के साथ रानी कमजोर भी होती जा रही थी।
एक दिन रानी उस दुकान के मालिक से पूछती है कि मेरी दोस्त मीरा कहाँ है और वो तो ज्यादा ऊँचाई तक उड़ भी पा नहीं रही होगी।
तब दुकान का मालिक कहता है कि नहीं… ऐसा नहीं है। वो तो बहुत ही ऊँचाई पर उड़ रही है। न जाने वो तो कितनी बार कट चुकी है और अब ऐसे किसी बच्चे के पास पहुँची है जिसके पास बहुत सारा धागा है।
यह सुनते ही इस रानी के मन में अजीब सी हलचल शुरु हो जाती है। रानी तुरंत ही दुकान के मालिक से कहती है कि अब जो भी ग्राहक आये वो उसे उस ग्राहक को देदे।
अब कोई अन्य बच्चा आता है और रानी को अपने साथ ले जाता है। अब रानी उड़ना शुरु करती है लेकिन प्रथम बार में अधिक ऊँचाई तक पहुँच नहीं पा रही थी। फिर भी रानी कहीं न कहीं आनन्दित जरुर थी क्यों कि उसे एक बात समझ में आ गयी थी कि हम जिस भी ऊँचाई तक पहुँचना चाहते है वो उस पर अचानक तो नहीं पहुँचेगी। और वह उस ऊँचाई पर जब भी पहुँचे लेकिन वह तभी होगा जब इसकी शुरुआत आज से ही की जाये। जिस बात को मीरा पहले ही समझ चुकी थी।
कहानी की सीख –
पतंग तो इस बात को अच्छे से समझ चुकी थी कि पतंग होने का असली मतलब यही है कि उड़ना, कटना और फिर से ऊँचाइयों को छूना।
एक जरुरी बात-
उस पतंग की उड़ान कितनी ऊँची होगी वो depend करता है उस पतंग की डोर किसके हाथ में है और उन हाथों में डोर आखिर कितनी है।
यह same condition हमारे साथ भी है।
वो पतंग हम है, वो हाथ भी हम है और वो डोर है हमारी skills.
लेकिन जो इस कहानी का मुख्य उद्देश्य है वो यही है कि आप शुरुआत तो कीजिए क्यों कि आने वाले कल का फल कोई नहीं जानता।
हमें पतंग की तरह कभी असफल होना है और कभी सफल और एक दिन बहुत ही ऊँचाई पर पहुँचना है। लेकिन वापिस इस धरती पर भी आना है, वो भी बिना कटे। वास्तव में Competition यही तो है। और यह सब होने का असली मतलब ही इंसान होना है।
आप जिस भी लक्ष्य पर पहुँचना चाहते है, जो भी आपका गोल हो……. उसके लिए केवल सोचते ही नहीं रहना है बल्कि महत्वपूर्ण यही है-
आप जहाँ पर भी हो, शुरुआत वहीं से कर दीजिए
आगे का रास्ता आपको स्वयं ही दिखना शुरु हो जाएगा।
Without growth
life is meaningless………
मैं जानता हूँ आपको पता है मैं तो केवल याद दिला रहा हूँ।
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पूछ-ताछ वैसे आपको क्या लगता है कि –
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जो आपके लिए रहने वाला है यादगार।
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हिन्दी का सम्मान करें, हिन्दी बोलने में गर्व महसूस करें।
तब तक के लिए –
Feel every moment,
live every moment,
Win every moment…
Kyu ki ye pal phir nahi milne wala………
– Sun in Deep
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