International Non-Violence Day in hindi | 2 अक्टूबर | अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस

 International non-violence Day in hindi

international non-violence day in hindi

हर दिन में कुछ खास है, हर दिन का अपना अंदाज है। हर दिन कहता एक अलग इतिहास है।

आज है, 2 अक्टूबर यानि कि अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International non-violence day in hindi) । इस दिन के बहाने मैं करूँगा कुछ और पॉइंट्स को कनेक्ट।

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है सन इन डीप अर्थात संदीप। दोस्तों besthindilink.com में आपका बहुत-बहुत स्वागत है……….

तो चलिए शुरुआत इधर से —–

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस दिवस कब मनाते है :

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है।

शुरुआत कब हुई :

प्रथम बार अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस 2 अक्टूबर 2007 को मनाया गया था।

2 अक्टूबर को ही क्यों मनाया जाता है :

महात्मा गाँधी को अहिंसा का प्रतीक माना जाता है। इनका जन्मदिन 2 अक्टूबर है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा यह निर्णय लिया गया कि  2 अक्टूबर को ही अहिंसा दिवस के रुप में मनाया जायेगा।

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अहिंसा – एक चर्चा :

अहिंसा का अर्थ है, हिंसा न करना। अर्थात किसी भी प्राणी को किसी भी प्रकार से कोई भी नुक्सान न पहुँचना। न तो शारीरिक रुप से और न ही मानसिक रुप से। वास्तव में ऐसा होता तो यह कलियुग, सतयुग न बन जाता।

हमारे चारों ओर अशांति का मुख्य कारण हिंसा ही है। शायद ही ऐसा कोई दिन होगा, जिस दिन हिंसा की कोई खबर न आती हो। ये सब किसी न किसी रुप में हमें प्रभावित करती ही रहती है।

यह देशों के आपसी मतभेद के रुप में, एक ही देश में भिन्न भिन्न जातिसमुदायों के रुप में, लोगों के बीच गलत मानसिक धारणा के रुप में, देश की बेटियों के साथ किसी न किसी रुप में हो रही हिंसा के रुप में हमारे चारों ओर है।

क्या है अहिंसा के सही मायने –

हमें अहिंसा का समर्थन अवश्य करना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है, हम गलत कार्यों को नजरअंदाज करते रहे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण महाकाव्य महाभारत है। शारीरिक और मानसिक रुप में जितनी अधिक हिंसा महाभारत में हुई थी, शायद ही कहीं हुई हो।

भगवान श्री कृष्ण, जो स्वयं उस हिंसक इतिहास का हिस्सा थे। लेकिन उन्होंने यह हिंसा धर्म की रक्षा के लिए की थी। यदि वह भी अधर्म का विरोध न कर अहिंसा को पकड़े रहते, तो आज अधर्म ने हमें पूरी तरह से जकड़ लिया होता।

महाभारत का यह श्लोक इस ही बात को व्यक्त करता है। जिसे हम जाने अनजाने गलत तरीके से समझ लेते है।

“अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च”

इसका तात्पर्य है, अहिंसा करना हमारा परम धर्म है, लेकिन धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी बड़ा धर्म है।

इस बात से हम भली भाँति समझ ही चुके होंगे कि यदि हम पर कोई अत्याचार करता है या हम किसी और के साथ दुर्व्यवहार करते हुए देखते है, तो हमें उसका विरोध अवश्य करना चाहिए। अपनी सही समझ का प्रयोग करते हुए परिस्थिति के हिसाब से सही ऐक्शन लेना चाहिए।

हिंसा की मुख्य वजह –  

वैसे तो हम सभी के बीच बढ़ती जा रही इस हिंसात्मक प्रवृति की बहुत सी वजह है। लेकिन मेरे विचार में इसके दो मुख्य कारण है –

  • सही शिक्षा का अभाव – यहाँ सही शिक्षा से मतलब उस शिक्षा से जो हमें अहिंसा और हिंसा के बीच के अंतर को समझाए। यदि हम बचपन से ही हिंसक माहौल में रहेंगे और हमारे दिमाग को लगातार उसी ओर धकेला जायेगा तो निश्चित ही हमारा भविष्य भी वैसा ही होगा।
  • हिंसा का विरोध न करना – जैसे कि उपरोक्त श्लोक में कहा गया था ठीक उसी प्रकार अहिंसा करना तो अच्छा है लेकिन हिंसा को सहना उससे भी बड़ा अपराध है। हिंसा का विरोध न करने पर इसकी शक्ति और भी अधिक बड़ जाती है। यह समय दर समय हम पर हावी होता ही जाता है। आज के इस माहौल में कुछ लोग हिंसा के विरोध में लगे हुए है, लेकिन हमने इनका साथ नहीं दिया तो हम सभी इसकी चपेट में आ जायेगे।

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बच्चों को दिया जाना चाहिए बचपन से ही आत्म-सुरक्षा का ज्ञान –

विशेष तौर पर लड़कियों को बचपन से ही आत्म सुरक्षा का अभ्यास जरुर करवाना चाहिए। हम अपने चारों ओर लड़कियों के साथ छेड़-छाड़ की घटनाये अक्सर सुनते ही रहते होंगे। उनके साथ बलात्कार, अपहरण की खबरें न्यूज चैनल की सुर्ख़ियाँ बनी रहती है। आत्म सुरक्षा की जानकारी होने पर उनके आत्मविश्वास में भीं वृद्धि होगी साथ ही स्वास्थय भी बेहतर होगा। यकीनन आने वाली पीढ़ी का भविष्य उज्ज्वल होगा।

अहिंसा दिवस का महत्व –

इस दिवस का महत्व तो हम सभी अच्छे  प्रकार से समझ ही गये होंगे। हमें अहिंसा की भावना को बढ़ाना है लेकिन कहीं भी हिंसा होने पर उसका विरोध अवश्य करना है न कि उसे अहिंसा के नाम पर सहना है।

यहाँ मेरा उद्देश्य यही था कि हम सभी अहिंसा की सही परिभाषा को जानें। किसी भी स्तर पर हमारे साथ कुछ भी गलत हो तो उसका विरोध अवश्य करें न कि उसे एक बड़ा अपराध बनने दें।

आज का रोचक तथ्य :

क्या आप जानते है कि दुनिया का सबसे पुराना खिलौना एक छड़ी थी।

अगर आज के दिन में आपके लिए एसा कुछ भी रहा है खास,

जो आपके लिए रहने वाला है यादगार।

तो आप भी share कर सकते है, हमारे साथ अपने विचार।

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International non- violence day in hindi) पर आधारित यह पोस्ट आपको कैसी लगी। आप अपनी बातें comments के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते है।

हिन्दी का सम्मान करें, हिन्दी बोलने में गर्व महसूस करें

तब तक के लिए –

Feel every moment,

  live every moment,

    Win every moment……

       Kyu ki ye pal phir nahi milne wala………………………

                –   Sun in  Deep

 

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