6 जुलाई । World Zoonoses Day in hindi | विश्व पशुजन्य रोग दिवस

World Zoonoses Day in hindi 

world zoonoses day in hindiजूनोसिस (Zoonoses) एक ग्रीक शब्द है जो जून (Zoon) और नोसोस (Nosos) से मिलकर बना है। यहाँ Zoon से मतलब पशु या जानवर से है और Nosos से मतलब बीमारी या रोग से है। हिन्दी में कहा जाये तो जूनोसिस से मतलब पशुजन्य रोग से है।

सरल शब्दों में जूनोसिस से मतलब उन संक्रामक रोगों से है जिसके अंतर्गत रोग एक जानवर के माध्यम से अन्य जानवरों या मानव में संक्रमित हो जाते है। यदि कोई रोग मानव से जानवरों में फैलता है तो वह रिवर्स जूनोसिस कहलाता है।

हर दिन में कुछ खास है, हर दिन का अपना अंदाज है। हर दिन कहता एक अलग इतिहास है।

आज है, 6 जुलाई यानि कि विश्व पशुजन्य रोग दिवस (World Zoonoses Day in hindi) । इस दिन के बहाने मैं करूँगा कुछ और पॉइंट्स को कनेक्ट।

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है सन इन डीप अर्थात संदीप। दोस्तों besthindilink.com में आपका बहुत-बहुत स्वागत है……….

तो चलिए शुरुआत इधर से —–

विश्व जूनोसिस दिवस कब मनाते है :

विश्व जूनोसिस दिवस प्रत्येक वर्ष 6 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है।

6 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है :

प्राचीन समय से ही रेबीज एक जानलेवा घातक बीमार रही है। लेकिन जब रेबीज का टीका (वैक्सीन) बनाया गया तो वास्तव में यह मानव के लिए बडी़ उपल्ब्धि थी। इस वैक्सीन के आविष्कार का श्रेय विशेष रुप से फ्रांस के वैज्ञानिक  लुई पाश्चर  (Louis Pasteur) को जाता है। जानकारी के अनुसार लुई पाश्चर ने यह पहला टीका  6 जुलाई 1885 को एक 9 वर्ष के बच्चे जोसेफ मीस्टर को लगाया था। इसलिए 6 जुलाई को विश्व जूनोसिस दिवस मनाने का फैसला किया गया।

Point : रेबीज 

 यह एक संक्रामक बीमारी है। यह रोग संक्रमित जानवरों द्वारा दूसरे जानवरों और मनुष्यों में  फैलता है। जब कोई संक्रमित जानवर किसी अन्य जानवर या मनुष्य को काट  लेता है तो यह वायरस संक्रमित जानवर की लार द्वारा दूसरे व्यकित में प्रवेश कर जाता है। रेबीज रोग मुख्य रुप से कुत्ते, बिल्ली,  बंदर, बकरी, अन्य जंगली जानवरों द्वारा प्रेषित होता है। विश्व स्वास्थय संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया में लगभग 59000 लोगो की हर साल रेबीज के कारण मृत्यु हो जाती है।

 

Point ‌: वैक्सीन 

वैक्सीन हिन्दी में इसे टीका भी कहा जाता है। जब इसे हमारे शरीर में प्रवेश किया जाता है तो यह किसी विशेष रोग से लड़ने के लिए हमारे शरीर में एंटी बॉडी तैयार कर लेता है। ताकि किसी को यह रोग है या भविष्य में होता भी है तो हमारा शरीर स्वाभाविक रुप से ही उस रोग को उभरने से पहले ही मार गिराये। नवजात शिशुओं के लिए इस टीकाकरण का बहुत अधिक महत्व है। इन्हें समय पर लगाये टीके भविष्य में होने वाली बीमारियों से बचाने में सहायक होते है।

विश्व जूनोसिस दिवस मनाने का मह्त्व – Importance of world zoonoses day in hindi :

जैसा कि हम जानते है कि इंसानों के बीमार होने का एक बड़ा कारण जानवर भी है। विश्व जूनोसिस दिवस मनाने का उद्देश्य साफ है कि हम सभी को जानवरों से होने वाली बीमारी के प्रति जागरुक करना है। साथ ही इसका उद्देश्य यह भी है कि हमारी वजह से किसी जानवर को भी कोई परेशानी न हो।

हम चाहे शहर में हो या गाँव में हो, अपने चारों ओर  कीट –पतंग, कीड़े मकोड़े, पालतू या आवारा जानवर देखते ही होंगे। आमतौर पर आपने घरों, दुकानों, कार्यालयो में चूहे घूमते हुए तो अवश्य ही देखें होंगे। ये अक्सर गंदे ही रहते है और जगह जगह मल त्याग कर देते है, जिसके बारे में हम जान भी नहीं पाते है। जो कि हमारी बीमारी का एक बड़ा कारण भी बन सकते है।

इन सभी का एक ही बड़ा उपाय है कि साफ सफाई पर ध्यान दिया जाये। चाहे  हमारे शरीर की बात हो या हमारे चारों ओर के माहौल की या हमारे अंदर चल रहे नकारात्मक विचारों की सभी का एक ही तरीका है प्रतिदिन यहाँ सफाई की जाये।

आज के समय में चल रही इस कोरोना नामक बीमारी की मेन वजह क्या है, इस पर अभी तो संशय बना हुआ है। लेकिन इसे कहीं न कहीं इसे चमगादड़ से जोड़ा जा रहा है। इस कोरोना वायरस की शुरुआत चीन में हुई थी। इसकी रोकथाम के लिए चारों ओर एक ही बात चल रही है हाथ धोते रहें, सफाई रखे।

पशुजनित रोग – एक झलक :

हम समय समय पर पशुओं से सम्बन्धित अनेक रोगों के बारे में सुनते आये है और उनसे ग्रसित भी हुए है। जिनमें से अनेक तो बडी़ महामारी बनकर उभरे है।

जैसे कि घोड़ों में पायी जाने वाली ग्लैंडर्स नामक बीमारी बहुत समय पहले से ही काफी चिंता का विषय रही है। यह बीमारी दूसरे जानवरों और इंसानो को भी संक्रमित कर देती है। 20वीं शताब्दी के शुरुआत में यह रोग काफी तेजी से बढ़ता जा रहा था तब ब्रिटिश सरकार द्वारा ग्लैंडर्स एण्ड फर्सी अधिनियम 1899 लागू किया। जिसके अंतर्गत अनेक घोड़ों को मृत्यु दे दी गयी थी।

वर्तमान समय में भी यदि कोई भी घोड़ा, खच्चर आदि इस बीमारी से ग्रसित होता भी है तो उसे यूथेनेशिया दी जाती है। इसके बाद वह पशु बेहोशी में चला जाता है और कुछ देर बाद मर जाता है। इस प्रकार उसे दर्द रहित मौत दे दी जाती है।

Point : यूथेनेशिया 

यूथेनेशिया को इच्छा मृत्यु, दया मृत्यु , मर्सी किलिंग आदि नामों से जाना जाता है। यह प्रकिया केवल जानवरों पर ही नहीं बल्कि इंसानों के लिए भी उपयोग की जाती है। लेकिन इंसानों के लिए इसका प्रयोग केवल उस दशा में किया जाता है जब उसे कोई बहुत गंभीर बीमारी हो। जिसका न तो उपचार स्म्भव हो और जिसके साथ जीना बहुत कष्टदायक हो। कोर्ट की तरफ से आदेश मिलने पर डॉक्टरों की देख-रेख इस कार्य को किया जाता है, जिससे कि पीड़ित व्यकित को कम से कम दर्द हो। यह प्रकिया सभी देशों में लीगल नहीं है।  

यूथेनेशिया विशेष रुप से दो प्रकार की होती है –

  • एक्टिव यूथेनेशिया – इस प्रकिया में पीड़ित को इंजेक्शन या अन्य माध्यम से दवाईयाँ दी जाती है, जिससे की उसकी दर्द रहित मृत्यु हो जाये। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार भारत में एक्टिव यूथेनेशिया देने की ईजाजत नहीं है।
  • पैसिव यूथेनेशिया – इस प्रकिया के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति के जीवन रक्षक उपायों जैसे- दवाईयाँ, वेंटिलेशन आदि को बंद कर दिया जाता है। जिससे पीड़ित व्यकित की मृत्यु हो जाती है। भारत में पैसिव यूथेनेशिया के लिए अनुमति दे दी गयी है।

एसे बहुत से पशुजनित रोग है जिनके कारण अन्य पशु व मानव संक्रमित हो सकता है। उनमें से कुछ रोग के  बारे में नीचे जानकारी  दी गयी है –

National Zoonoses day

पशु चिकित्सक की महत्ता – Importance of Veterinary Doctor :

पशुओं से सम्बन्धित रोग का पता लगाने और उनका उपचार करने वाला एक पशु चिकित्सक (Veterinary Doctor) कहलाता है।

प्राचीन समय से ही पशुओं, जानवरों से related रोग बढ़ते ही जा रहे है। एसे में आवश्यकता है कि हमारे पास उपयुक्त संख्या में प्रशिक्षित पशु चिकित्सक उपलब्ध हों। लेकिन हमारे देश में पशु चिक्त्सक की संख्या कम है। जिसके कारण पशुओं का सही समय पर और सही प्रकार से इलाज नहीं हो पाता है। जो कि पशुओं के साथ-साथ इंसानों के लिए भी समस्या है।

एसे में एक पशु चिक्त्सक का महत्व कहीं अधिक बढ़ जाता है। यदि आप भी जानवरों से प्यार करते है, उनकी मदद करना चाहते है और इस फील्ड में रुचि रखते है तो एक पशु चिकित्सक के रुप में अपना करियर बना सकते है।

पशु चिकित्सक – एक करियर

यदि आप पशु चिकित्सा में अपना करियर बनाना चाहते है तो आपके पास निम्न योग्यता होनी चाहिए।

योग्यता –

इसके लिए अभ्यर्थी (Candidate) को 12th में फीजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी में 50% अंको के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए।

पशु चिकित्सक से सम्बन्धित कोर्स –  

·         डिप्लोमा इन वेटरनरी फार्मेसी – इसकी अवधि 2 वर्ष की होती है।

·         बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस एण्ड एनिमल हस्बैंड्री – इस कोर्स की अवधि 5 वर्ष होती है।

·         मास्टर ऑफ़ वेटरनरी साइंस – इस कोर्स की अवधि 2 वर्ष होती है।

·         पीएचडी ऑफ वेटरनरी साइंस – इस कोर्स की अवधि 2 वर्ष होती है।

एक पशु चिकित्सक के रुप में आप सरकारी और प्राइवेट किसी भी सेक्टर में नौकरी पा सकते है। इसके अलावा आप अपना क्लीनिक भी खोल सकते है।

आज के रोचक तथ्य :

  • क्या आप जानते है कि हाथी तीन मील दूर से भी पानी को सूंघने की क्षमता रखते है।
  • क्या आपको पता है कि शेर का बच्चा 2 वर्ष की उम्र तक दहाड़ नही मार सकता है।
  • क्या आप जानते है कि व्हेल मछली का दिल एक मिनट में 9 बार ही धड़कता है।

निष्कर्ष :

अंत में निष्कर्ष यही निकलता है कि हमें अपने स्तर पर साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना है। जानवरों से होने वाले रोगों के प्रति अवेयर रहना है। स्वयं की भाँति जानवरों का भी सम्मान करना है। टीकाकरण की महत्ता पर विशेष बल देना है क्यों कि आज भी बहुत से लोग इसे नजरअंदाज करते हुए पाए जाते है। जिससे वह स्वयं और दूसरो के लिए भी आपदा का कारण बन सकते है। यदि कोई भी मांस का सेवन करता है तो उसे अच्छी प्रकार से पका कर के ही खाये जिससे कि उसमें उपस्थित गंदगी ठीक प्रकार से नष्ट हो जाए। और साथ ही हमारा जीवन थोड़ा और अधिक स्पष्ट हो जाये।

अगर आज के दिन में आपके लिए एसा कुछ भी रहा है खास,

जो आपके लिए रहने वाला है यादगार।

 तो आप भी share कर सकते है, हमारे साथ अपने विचार।

विश्व जूनोसिस दिवस / world zoonoses day in hindi  पर आधारित यह पोस्ट आपको कैसी लगी। आप अपनी बातें comments के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते है।

हिन्दी का सम्मान करें, हिन्दी बोलने में गर्व महसूस करें।

तब तक के लिए –

Feel every moment,

 live every moment,

   Win every moment…

     Kyu ki ye pal phir nahi milne wala…

Sun in Deep

 

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