10 अगस्त| Dengue Prevention Day in hindi | डेंगू निरोधक (रोकथाम) दिवस

Dengue Prevention Day in hindi  :

वैसे तो पूरे साल भर बीमारियाँ लगी ही रहती है। लेकिन बरसात के मौसम में रोग और तेजी से बढ़ने लगते है। ऐसे में डेंगू का नाम अक्सर सुनने में आता रहता है। इस article में हम जानेगे कि डेंगू क्या है। इसके क्या लक्षण होते है। इससे संबंधित बचाव और उपचार की जानकारी लेंगे। साथ ही जानेगे कि आखिर यह डेंगू निरोधक दिवस (Dengue Prevention Day in hindi) क्यों मनाया जाता है।

हर दिन में कुछ खास है, हर दिन का अपना अंदाज है। हर दिन कहता एक अलग इतिहास है।

आज है, 10 अगस्त यानि कि डेंगू निरोधक दिवस (Dengue Prevention Day) । इस दिन के बहाने मैं करूँगा कुछ और पॉइंट्स को कनेक्ट।

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है सन इन डीप अर्थात संदीप। दोस्तों besthindilink.com में आपका बहुत-बहुत स्वागत है……….

तो चलिए शुरुआत इधर से —–

dengre prevention day in hindi

डेंगू निरोधक दिवस कब मनाते है :

डेंगू निरोधक दिवस दिवस प्रत्येक वर्ष 10 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है।

क्यों मनाया जाता है :

डेंगू रोकथाम दिवस सेलिब्रेट करने का मुख्य कारण हम सभी को डेंगू नामक रोग के प्रति जागरुक करना है। हमें, हमारे परिवार या हमारे आस-पास किसी को भी इस प्रकार की कोई बीमारी न हो, उसके लिए हमें क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए। अगर यह रोग किसी को है, तो उसमें किस प्रकार के लक्षण दिखायी देते है। यदि किसी को डेंगू हो भी जाये तो उस परिस्थिति में क्या उपचार करना चाहिए। ताकि हमारी अवेयरनेस द्वारा हम या अन्य लोग एक बुरे स्वास्थय (health) के रास्ते पर जाने से बच सके।

dengue prevention day in hindi

 डेंगू रोगएक झलक :

डेंगू एक विषाणु (Virus) जनित रोग है। इसे ‘डेंगी’, ‘डेंगू बुख़ार’, ‘डेन वायरस’ के नाम से भी जाना जाता है। विशेष तौर पर यह  “हड्डी तोड़ बुख़ार” नाम से भी फेमस है। यहाँ हड्डी तोड़ से मतलब यह नहीं है कि इसमें हड्डी टूट जाती है। इसे हड्डी तोड़ बुख़ार इसलिए कहा जाता है क्यों कि डेंगू से पीड़ित रोगी को जोड़ों और मांसपेशियों में बहुत ही अधिक दर्द होता है।

dengue prevention day in hindi

डेंगू  वायरस के प्रकार

डेंगू वायरस मुख्य रुप से चार प्रकार के होते हैं। इस वायरस के चार प्रकार डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4 (DEN-1, DEN-2, DEN-3, DEN-4)  है।

जिस व्यक्ति को डेंगू वायरस अधिक प्रभावित करता है, तो उस व्यक्ति की प्लेट लेट्स (platelets) तेजी से कम हो जाती है। ब्लड प्रेशर का स्तर सामान्य से बहुत कम हो जाता है। कुछ परिस्थितियों में मुँह, नाक, कान आदि से रक्त स्राव भी होने लगता है।

मादा मच्छर –

डेंगू का संक्रमण हर प्रकार के मच्छर द्वारा नहीं होता है। इसके संक्रमण के लिए एडीज एजिप्टी नामक संक्रमित मादा मच्छर वाहक का कार्य करती है।

dengue prevention day in hindi

प्रसारण (Transmission)   –

एडीज एजिप्टी नामक संक्रमित मादा मच्छर, डेंगू को फैलाने के लिए कैरियर/ वाहक का कार्य करती है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर में डेंगू वायरस होता है और ये एडीज एजिप्टी नामक मादा मच्छर उस संक्रमित व्यक्ति को काट लेता है तो यह मच्छर भी संक्रमित हो जाता है। अब यह कैरियर का कार्य करने लगती है। अब यह मादा मच्छर जिस भी स्वस्थ व्पक्ति को काट लेती है तो वह व्यक्ति भी डेंगू रोग से संक्रमित हो जाता है। इस प्रकार यह रोग तेजी से चारों ओर फैलता रहता है।

इसका transmission कम से कम हो इसका एक तरीका यह है कि डेंगू से संक्रमित व्यक्ति स्वयं को मच्छर से काटने से बचाये। जिससे कि इसका संक्रमण को कम किया जा सके।

डेंगू के लक्षण (Dengue Symptoms in Hindi) :

यदि किसी को डेंगू हो जाये तो इसके लक्षण व्यक्ति में तुरन्त दिखाई नही देते है। व्यकित में लक्षणों का दिखना इस बात पर भी निर्भर करता है कि वह किस प्रकार के डेंगू वायरस से ग्रसित है। सामान्य रुप से व्यकित में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते है –

  • अधिक तेज बुखार
  • सिर में तीव्र दर्द का होना
  • जोड़ों और मांस पेशियों में असहनीय दर्द होना
  • आँखों के पीछे दर्द का होना
  • ब्लड प्रेशर का सामान्य से बहुत कम हो जाना
  • जी मिचलाना और उल्टी का होना
  • पेट खराब रहना और दस्त लगे रहना
  • शरीर पर लाल रंग के दाने का उभरना
  • इत्यादि।

डेंगू से बचाव एवं सावधानियाँ (Prevention of Dengue in Hindi)

डेंगू से बचाव का सबसे बड़ा तरीका यही है कि मच्छरों से दूरी बना कर रखें। डेंगू का मच्छर साफ स्थिर पानी में ही अपने अंडे देता है। इसलिए यह आवश्यक है कि साफ पानी को खुला न रखें। हम निम्न तरीकों से बचाव कर सकते है –

  • अपने आस पास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • घर हो, स्कूल हो, ऑफिस हो अपने आस पास पानी को एकत्रित न होने दें।
  • कूलर, गमले के पानी का daily routine पर परीक्षण करते रहें।
  • किसी टूटे फूटे सामान, खिलोने आदि ऐसे स्थान पर न हों जहन बारिश का पानी भर जाएँ।
  • बर्तन, सिंक आदि में पानी इकट्ठा न होने दें। बर्तन का प्रयोग करने पर उन्हें किसी अन्य बर्तन से ढक कर रख दें।
  • अपने घरों के दरवाजे, खिड़कियाँ विशेष रुप से सुबह और शाम के समय बंद करके रखें।
  • सुबह और शाम के समय डेंगू के मच्छर ज्यादा सक्रिय (active) रहते है। इस समय बच्चों को घर से बाहर खेलने के लिए न जाने दें।
  • ऐसे कपड़े पहने जिससे शरीर का अधिकतम भाग ढका रहे।
  • मच्छरों से बचाव के लिए बॉडी क्रीम, लिक्विड आदि का प्रयोग करें।
  • सरकार की तरफ से भी समय समय पर गलियों, मुहल्ले में मच्छर सम्बंधी कीटनाशक दवाओं का छिड़काव होते रहना चाहिए।
  • नीम की सूखी पत्तियों के धुएँ से भी मच्छर दूर भागते है।
  • यदि आपको इसकी जानकारी है तो अपने आस पास लोगों को डेंगू के प्रति जागरुकता को बड़ा कर इससे बच सकते है।

डेंगू से संबंधित उपचार (Treatment of Dengue in Hindi)

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि इस रोग के लक्षणों का पता लगने में समय लगता है। ऐसे में अगर किसी को भी डेंगू की आशंका होती है तो उसे तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। लेकिन इस अवस्था में अपने इम्यून सिस्टम को बढ़ाने और इस रोग को हराने के लिए निम्न आयुर्वेद उपाय किए जा सकते है –

  • गिलोय – गिलोय के तने और पत्तियों से बने काढा और जूस का सेवन करना चाहिए। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, प्लेटलेट्स को बढ़ाने, बुखार को नियंत्रित करने में बहुत सहायक होता है।
  • पपीते की पत्तियाँ – पपीते की पत्तियों से बने जूस का सेवन करना चाहिए। यह प्लेटलेट्स को तेजी से बढ़ाने में मदद करता है।
  • एलोवेरा का जूस – ऐलोवेरा का जूस डेंगू में बहुत लाभकारी होता है। यह इम्यून सिस्टम को बढ़ता है। यह पाचन प्रकिया को सुचारु रुप से कार्य करने में बहुत सहायक होता है। जिसके कारण यह लीवर को ठीक प्रकार से कार्य करने में प्रभावकारी होता है।
  • अनार – अनार के जूस का प्रयोग लीवर को ठीक करने के लिए बहुत मददगार होता है। यह व्यक्ति को होने वाली उल्टी को रोकने में सहायक होता है।
  • तुलसी – तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर, छानकर पीना चाहिए। यह बुखार को कंट्रोल करने में मदद करता है।

इसके अतिरिक्त –

  • डेंगू के रोगी को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए।
  • शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए समय समय पर तरल पदार्थ लेते रहने चाहिए।

वैक्सीन

डेंगू के रोग के लिए अभी तक विशेष प्रभावी रुप से कोई भी वैक्सीन नही बनी है।

विशेष : उपरोक्त दिए गए उपचार  इस रोग के प्रति जानकारी  और जागरुकता को बढ़ाने की दॄष्टि से है। जैसा कि जानकारी में बताया गया है कि डेंगू  के बारे में जल्द ही लक्षण सामने नही आते है। ऐसे में यह आवश्यक है  कि संदेह होने पर चिकित्सक की सलाह तुरंत ले। डेंगू से सम्बंधित टेस्ट करवाये। जिससे कि यह स्पष्ट हो जाये कि रोगी डेंगू से ग्रसित है या नहीं। यदि समय पर इसका इलाज न कराया जाये तो यह एक गम्भीर बीमारी का रुप धारण कर सकता है।

आज के रोचक तथ्य :

क्या आप जानते है कि –

  • हमारा खून केवल मादा मच्छर ही चूसती है। नर मच्छर प्रत्यक्ष रुप से हमें कोई नुक्सान नहीं पहुँचाते है।
  • मादा मच्छर का जीवन काल लगभग 2 महीने का होता है। वहीं नर मच्छर की आयु लगभग 15 दिन होती है।
  • मच्छर गहरे रंग (dark colour) जैसे काले, नीले रंग की तरफ अधिक आकर्षित होते है।

निष्कर्ष :

अंत में हम इसी निष्कर्ष पर पहुँचते है कि जब भी किसी सामान्य या विशेष बीमारी की बात की जाती है, तो एक शब्द सामान्य रुप से सामने आता है और वो है “प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power)”। हमें अपने शरीर की immunity system पर ध्यान देने की जरुरत है। यदि हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत है और किसी कारणवश हमें यह रोग हो भी जाये तो हमारे अंदर इस बीमारी से लड़ने की क्षमता अधिक होगी। जल्द ही हम इस बीमारी को हरा देंगे। हमें यह रोग न हो उसके लिए सावधानियाँ अवश्य रखनी चाहिए।

स्वस्थ रहिए । सुरक्षित रहिए । जागरुक रहिए ।

अगर आज के दिन में आपके लिए एसा कुछ भी रहा है खास,

जो आपके लिए रहने वाला है यादगार।

तो आप भी share कर सकते है, हमारे साथ अपने विचार।

डेंगू निरोधक दिवस पर आधारित यह पोस्ट आपको कैसी लगी। आप अपनी बातें comments के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते है।

हिन्दी का सम्मान करें, हिन्दी बोलने में गर्व महसूस करें

तब तक के लिए –

Feel every moment,

 live every moment,

   Win every moment………

     Kyu ki ye pal phir nahi milne wala…………………

– Sun in Deep

—–#–#—–

–*–other August month Posts –*–

15 August – Happy Independence day

19 August – World Photography day

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.