धूप, धरती और मजदूर | Hindi story about worry| An Inspirational story

Hindi Story about worry – An Inspirational story

सीखते रहने में ही जिंदगी का असली मजा है, अच्छा या बुरा वो पूरी तरह से आप पर ही निर्भर (depend) करता है। अगर हर रोज आप कुछ नया सीखने की कोशिश नहीं कर रहे है तो अवश्य ही आप कहीं न कहीं फसे हुए है और आप ही है जो इस कैद से खुद को आजाद कर सकते है। स्वयं पर विश्वास रखिए और अपनी समस्याओं को समाधान में बदलिए ।

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है सन इन डीप अर्थात संदीप। दोस्तों आपका besthindilink.com में बहुत-बहुत स्वागत है।

तो चलिए शुरुआत इधर से —–

धूप, धरती और मजदूर –  Hindi story about worry

Hindi story about worry

दिल्ली का मौसम। जून की तपती धूप का महीना। सूर्य का तेज अपने चरम पर। चारों ओर भीषण गर्मी।

तापमान लगातार बढ़ता जा रहा था। सभी लोग गर्मी से बेहाल हुए जा रहे थे। सूर्य का नाम सुनते ही मानो अजीब सी घबराहट होने लगती थी।

कही पर किसी की बेहोशी की खबर आ रही थी। तो कहीं लू चलने के कारण लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ जाती थी।

जिस प्रकार राक्षसों के स्वर्ग में आ जाने पर देवता नगरी में हाहाकार मच जाता था ठीक उसी प्रकार दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में तेज धूप के कारण हो जाता है।

सूर्य अन्य ग्रहों से अपने बारे में चर्चायें सुनता है –

एक दूर स्थित ग्रह बोला –

आपका तेज तो प्रशंसनीय है। आपकी तीव्र किरणों के सामने तो किसी के भी टिकने का साहस नहीं हो पा रहा है।

तभी सूर्य के समीप स्थित एक अन्य ग्रह बोला –

सूर्य भाई, मैं देख पा रहा हूँ कि धरती पर कोई तो है जिस पर आपके तेज का कुछ भी प्रभाव नहीं हो पा रहा है। यह किस प्रकार सम्भव है!!!!

सूर्य कहते है – मैं स्वयं जाकर देखता हूँ।

जब सूर्य वहाँ पहुँचते है तो देखते है कि दूसरे ग्रह की बात सत्य है।

वह देखते है कि –

मजदूरों का एक समूह लगातार कार्य पर लगा हुआ है। उन्हें मेरे किरणों का रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ रहा है।

सूर्य बहुत ही चिन्तित हो उठते है। अपने इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए धरती को पुकारते है।

धरती से प्रश्न करते है कि –

मजदूरों  का यह समूह किस प्रकार मेरे तेज को सहन कर पा रहा है। यह सभी इसके लिए थोडे़ भी चिन्तित नहीं है। जब कि अन्य लोग अपने घरों के अंदर भी धूप से परेशान नजर आ रहे है।

तब धरती ने जबाब दिया-

यह केवल एक दिन का कार्य नहीं है। ये सभी मजदूर बचपन से ही इस तेज धूप को सहन कर रहे है। अब इनका शरीर तुम्हारे अनुरुप ढल गयी है। इसलिए इनके लिए इस अवस्था में कार्य करना आसान हो गया है। इनका शरीर अन्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक मजबूत हो गया है। इन मजबूत मजदूरो के कारण ही उनसे सम्बन्धित देश मजबूत बना हुआ है।

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कहानी की सीख :

  1.  यह कहानी केवल मजदूरों तक ही सीमित नहीं है। यह हमारे पूरे जीवन को प्रभावित करती है।

माता-पिता अपने बच्चों की अधिक चिंता के कारण उन्हें परेशानी का सामना करने ही नहीं देते है। बचपन में की गयी एक्स्ट्रा केयर (extra care) बाद में बड़े होकर उन्हीं के लिए अतिरिक्त परेशानी (extra problems) का कारण बनती है। शुरुआत में उन्हें परेशानी (problems) को हैंडिल (handle) करने की जानकारी (knowledge) नहीं होती है। बाद में जब एक दम से दबाब पड़ने पर उनकी शारीरिक और मानसिक क्षमता दोनों पर प्रभाव पड़ता है।

तो सीख यही है कि बचपन से ही माता पिता अपने बच्चों को परेशानियों को हल करना सिखायें।

2.  यहाँ बात केवल माता-पिता तक नहीं है। यह हम सभी जानते है कि अभिभावक ( parents) जान बूझ कर हमारा बुरा नहीं चाहते। लेकिन अंजाने में ऐसा कर देते है। यदि आप सभी को इस कहानी का सार समझ आ गया तो केवल अपने माता-पिता को दोष न देते रहें। बल्कि अपने समझ से इसके लिए एक्शन लें।

यह आपको ही निर्णय (decide) करना है कि आप अपना जीवन किस तरह का बनाना चाहते है।

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क्या इस कहानी में आपको कोइ और सीख भी नजर आ रही है? यदि हाँ, तो comments के माध्यम से जरुर बताइये।

क्या आज के दिन में आपने भी सीखा है  कुछ भी नया?

क्या डेवलप (develop) कर रहे है कोइ नयी स्किलस (skills)??

यदि जबाब हाँ है तो आप सही दिशा

में है और जबान नहीं है तो आज से ही शुरुआत कर दीजिए।

वैसे हमारे देश में मजदूरों की अहमियत के बारे में आपका क्या विचार है।

धूप, धरती और मजदूर पर आधारित यह प्रेरणादायक कहानी आपको कैसी लगी। आप अपने विचार comment के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते है।

हिन्दी का सम्मान करें, हिन्दी बोलने में गर्व महसूस करें।

तब तक के लिए –

Feel every moment,

 live every moment,

    Win every moment……

       Kyu ki ye pal phir nahi milne wala………………………

–  Sun in Deep

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