National Sports Day in hindi 2022 | राष्ट्रीय खेल दिवस | 29 अगस्त

National Sports day in hindi

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National Sports Day in hindi  :

सम्पूर्ण विश्व में अनेक प्रकार के खेल खेले जाते है। विभिन्न देशों के अपने – अपने राष्ट्रीय खेल होते है। जैसे – जापान का राष्ट्रीय खेल सूमो है, नेपाल का राष्ट्रीय खेल वॉलीबॉल, न्यूजीलैंड का रग्बी यूनियन, बाग्लादेश का कबड्डी है।

क्या आपको पता है कि भारत का राष्ट्रीय खेल क्या है? यदि आप को इसका उत्तर पता है तो बहुत ही अच्छी बात है। अगर बहुत से लोग इसका उत्तर हॉकी या फील्ड हॉकी कह रहे है तो मैं बता दूँ की आप सभी गलत है। खेल मंत्रालय की जानकारी के अनुसार यह साफ तौर पर बताया गया है कि आधिकारिक तौर पर भारत में किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त नहीं है। परन्तु शुरुआत में भारत की ओर से लगातार हॉकी में अच्छे प्रर्दशन के कारण यह लोगों के बीच काफी अधिक प्रचलित हो गया था, जिस कारण इसे राष्ट्रीय खेल समझा जाने लगा था।

हर दिन में कुछ खास है, हर दिन का अपना अंदाज है। हर दिन कहता एक अलग इतिहास है।

आज है, 29 अगस्त यानि कि राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) । इस दिन के बहाने मैं करूँगा कुछ और पॉइंट्स को कनेक्ट।

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है सन इन डीप अर्थात संदीप। दोस्तों besthindilink.com में आपका बहुत-बहुत स्वागत है……….

तो चलिए शुरुआत इधर से —–

राष्ट्रीय खेल दिवस कब मनाते है :

भारत में प्रत्येक वर्ष 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता हैं।

शुरुआत कब हुई :

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2012 से राष्‍ट्रीय खेल दिवस को 29 अगस्त को मनाने का फैसला लिया गया।

क्यों मनाया जाता है :

29 अगस्त के दिन ‘हॉकी के जादूगर’ के नाम से प्रसिद्ध हॉकी के खिलाड़ी  मेजर ध्यांचंद का जन्म हुआ था। इसलिए इस महान खिलाड़ी के सम्मान में 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है।

 हॉकी के जादूगर’ (हॉकी विज़ार्ड) मेजर ध्यांचंद – एक झलक :

मेजर ध्यानचंद नामक सूर्य का उदय –  

मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 ई. को इलाहाबाद, उत्तर में एक राजपूत परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम समेश्वर सिंह था। यह ब्रिटिश इंडियन आर्मी में सूबेदार के पद पर थे। माता का नाम श्रद्धा सिंह था। इनके दो भाई मूल सिंह और रुप सिंह थे। रुप सिंह भी एक हॉकी खिलाड़ी थे।

Point :

रुप सिंह ने 1932 व 1936 के ओलम्पिक खेल में स्वर्ण पदक (Gold Medal) प्राप्त किया था।

वैवाहिक जीवन

इनकी पत्नि का नाम जानकी देवी था। इनके सात पुत्र थे। जिनके नाम ब्रिज मोहन, सोहन सिंह, राज कुमार, अशोक कुमार, उमेश कुमार, देविन्दर सिंह, विरेन्दर सिंह थे। अशोक कुमार भी हॉकी के खिलाड़ी थे। इन्होंने 1972 के ओलम्पिक खेल में कास्य पदक (Bronze Medal) प्राप्त किया था।

आर्मी और हॉकी का सफर –

ध्यान सिंह जी सन्‌ 1922 में प्रथम ब्राह्मण रेजीमेंट  सेना में एक सिपाही के रुप में भरती हुए । सेना में आने के बाद ये हॉकी पर विशेष ध्यान देने लगे।

ध्यान चंद ने 1925 में पहला नेशनल हॉकी टूर्नामेंट  खेला। जिसमें उनका प्रदर्शन बहुत ही शानदार रहा। इसके बाद वह भारत की इंटरनेशनल हॉकी टीम की ओर से खेलने लगे। 1926 में न्यूजीलैंड में एक हॉकी टूर्नामेंट का आयोजन हुआ। इसमें ध्यान सिंह को खेलने का मौका मिला। इस पूरे टूर्नामेंट में भारत ने कुल 21 मैच खेले। जिसमें भारत ने केवल 1 मैच हारा, 18 में जीत हासिल की और 2 मैच ड्रा हुए। इन मैचों के अंतर्गत भारत ने कुल 192 गोल किए थे, जिसमें से 100 गोलों का श्रेय ध्यान चंद को जाता है।

अब तो ध्यान चंद कहा रुकने वाले थे। उनका प्रदर्शन दिन प्रति दिन नये कीर्तिमान बनाते जा रहा था। अपने हॉकी के हुनर से ध्यान सिंह ने पूरी दुनिया को मोहित कर दिया। अपने अद्भुत खेल प्रर्दशन के कारण पूरी दुनिया इन्हें  “हॉकी के जादूगर” , “Hockey Wizard”  के नाम से जानने लगी।

लगातार तीन बार ओलम्पिक खेल में स्वर्ण पदक (Gold Medal) –

 मेजर ध्यानचंद ने वर्ष 1928, 1932 और 1936 में लगातार तीन बार ओलिंपिक में भारत के लिए हॉकी में गोल्ड मेडल प्राप्त किए।

1928 में ओलम्पिक खेल का आयोजन एम्स्टर्डम (Amsterdam), नीदरलैंड में किया गया। इस ओलम्पिक के फाइनल में भारत ने नीदरलैंद को 3 – 0 से हराया था। 1932 में यह खेल लांस एंजिल्स (Los Angeles), अमेरिका में आयोजित किए गए, जिसके फाइनल में भारत ने अमेरिका को 24  – 1 से बुरी तरह से परास्त किया। 1934 में ध्यान सिंह जी भारतीय हॉकी टीम के कप्तान बन गये। 1936 में बर्लिन (Berlin), जर्मनी में ओलम्पिक गेम्स खेले गये, जिसके फाइनल में ध्यान चंद की कप्तानी में भारत ने जर्मनी को 8 – 1 से हराया।

1949 में ध्यानचंद ने हॉकी के अंतर्राष्ट्रीय मैच से सन्यास ले लिया। लेकिन फिर भी वह किसी न किसी तरह हॉकी के साथ जुड़े रहे और घरेलु स्तर पर मैच खेलते रहे।

Point : ओलम्पिक खेल 

ओलम्पिक खेल प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर आयोजित किए जाते है। प्रथम बार ओलम्पिक खेल का आयोजन 1896 में एथेंस, यूनान में किया गया था। सबसे पहले ओलंपिक पदक अमरीका के जेम्स ब्रेंडन कोनोली ने प्राप्त किया। ओलम्पिक खेल को represent करने के लिए 5 रंग ( नीला, पीला, काला, हरा, लाल) की रिंग का प्रयोग किया जाता है। ये 5 रंग, 5 महादीप को प्रदर्शित करते है। नीला रंग यूरोप के लिए, पीला रंग एशिया को, काला रंग अफ्रीका को, हरा रंग ऑस्ट्रेलिया और लाल रंग अमेरिका को प्रदर्शित करता है।

सिपाही से मेजर बनने तक की यात्रा –

1922 में सिपाही के रुप में ध्यान सिंह ने सेना में शुरुआत की थी। इसके बाद 1927 में ध्यान चंद को सेना में लांस नायक का पद दिया गया। 1932 में नायक बनाये गये। 1937 में सूबेदार के पद को सम्भाला। 1943 में लेफ्टिनेंट बनाये गये। भारत की आजादी के बाद 1948 में भारतीय सेना में कप्तान का पद प्राप्त हुआ। इसके कुछ वर्ष बाद इनकी मेजर के पद पर नियुक्ति हुई। 1956 में मेजर ध्यानचंद सेना से मेजर के रुप में रिटायर्ड हो गये।

मेजर ध्यान चंद को प्राप्त सम्मान –

1956 में भारत सरकार द्वारा मेजर ध्यानचंद को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2002 में ध्यानचंद के सम्मान में दिल्ली में स्थित नेशनल स्टेडियम को ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम का नाम दिया गया। इनकी मृत्यु के बाद भारतीय डाक विभाग द्वारा ध्यान चंद के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया गया था।

Point : पद्म भूषण –

यह भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला देश का तीसरा सर्वोच्च सम्मान है। यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। सबसे पहले पदम भूषण सम्मान 1954 में दिया गया था।

आत्मकथा (Autobiography)  –   

ध्यानचंद की आत्मकथा का नाम ‘गोल’ है। आत्मकथा  ‘गोल’ के अनुसार मेजर ध्यानचंद ने अपने हॉकी करियर में लगभग 570 गोल किए थे।

मेजर ध्यानचंद नामक सूर्य हुआ अस्त –

ध्यान चंद लीवर के कैंसर से ग्रस्त थे। अन्तिम समय में वह दिल्ली के AIIMS हॉस्पिटल में भर्ती थे। आखिरकार मेजर ध्यान चंद नामक यह सूर्य 3 दिसम्बर 1979 (74 years 3 months 5 days) को हमेशा के लिए अस्त हो गया।

राष्ट्रीय खेल दिवस पर विशेष :

राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर, भारत के राष्ट्रपति द्वारा खेलों के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने वाले खिलाडियों को भारत के राष्‍ट्रपति भवन में राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। इन पुरस्कारों में मुख्य रुप से ध्यानचंद पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार, राजीव गांधी खेल रत्न प्रमुख हैं।

Point :

ध्यान चंद पुरस्कार –  यह पुरस्कार, किसी खिलाड़ी के जीवन भर के कार्य को सम्मानित करने के रुप में दिया जाता है। यह पुरस्कार प्रथम बार 2002 में प्रदान किया गया था।

अर्जुन पुरस्कारयह पुरस्कार भारत सरकार द्वारा खिलाड़ियों को खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये दिया जाता है। अर्जुन पुरस्कार को प्रथम बार 1961 में दिया गया था।

द्रोणाचार्य पुरस्कार –  यह पुरस्कार खेलों में उत्कृष्ट कोचों को प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार प्रथम बार 1985 में प्रदान किया गया था।

राजीव गांधी खेल रत्न –  यह भारत में दिया जाने वाला सबसे बड़ा खेल पुरस्कार है। यह पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पिछले चार साल की अवधि में खेल के क्षेत्र में सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार प्रथम बार 1991 -1992 में विश्वनाथ आनंद को प्राप्त हुआ था।

29 अगस्त 2019 में खेल दिवस के दिन ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत की गयी थी। जिसका उद्देश्य लोगों को खेल के प्रति जागरुक करना है, हमारे शरीर को फिट रखना है। यदि हमारा शरीर फिट रहेगा तो हमारा माइंड भी फिट रहेगा और लाइफ का हर काम हिट रहेगा। पीएम मोदी जी ने कहा था कि  ‘आप किसी भी प्रोफेशन में हों, आपको अपने प्रोफेशन में दक्षता लानी है तो मेंटल और फिजिकल फिटनेस जरूरी है। चाहे बोर्डरूम हो या फिर बॉलीवुड, जो फिट है वो आसमान छूता है।’

 आज के रोचक तथ्य :

  • एक महत्वपूर्ण रोचक तथ्य तो हम जान ही चुके है कि आधिकारिक तौर पर भारत का कोइ भी राष्ट्रीय खेल नहीं है।
  • मेजर ध्यान चंद का वास्तिविक नाम ध्यान सिंह था। कुछ लोगों का कहना है कि ये अक्सर रात में भी चांद की रोशनी में प्रैक्टिस किया करते थे। इस कारण इनके नाम में ये चंद नाम जोड़ दिया गया।
  • ध्यान सिंह जी का खेल प्रदर्शन देखकर जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने इन्हें जर्मनी सेना में शामिल होने के लिए कहा। उसके लिए जर्मन सेना में एक बड़े पद का लालच भी दिया। लेकिन ध्यान चंद जी ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया और भारत की ओर से खेलने को ही प्रायिक्ता (priority) दी।
  • ध्यानचंद ने अपने खेल से विरोधियों को इतना हैरान कर रखा था कि एक मैच में उनके स्टिक में गोंद लगने की बात कही गयी।
  • नीदरलैंड में एक मैच में उनके हॉकी में चुंबक होने की आशंका जतायी गयी। इतना ही नहीं उनकी स्टिक को तोड़कर भी देखा गया, लेकिन चुम्बक जैसी कोइ भी वस्तु नहीं निकली। इस बात से हम जान सकते है कि इनका खेल किस स्तर का था।

हमारा जीवन भी एक खेल समान ही है। जहाँ हर दिन कोई न कोई चुनौतियाँ आती ही रहती है। अब ये हम पर ही निर्भर करता है कि जीवन का ये खेल हम कैसे खेलते है।

अगर आज के दिन में आपके लिए एसा कुछ भी रहा है खास,

जो आपके लिए रहने वाला है यादगार।

तो आप भी share कर सकते है, हमारे साथ अपने विचार।

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तब तक के लिए –

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