अपनी परिभाषा बदलिए | Hindi story about Attitude | An Inspirational Story

अपनी परिभाषा बदलिए – एक प्रेरणादायक कहानी 

अपनी परिभाषा बदलिए

सीखते रहने में ही जिंदगी का असली मजा है, अच्छा या बुरा वो पूरी तरह से आप पर ही निर्भर (depend) करता है। अगर हर रोज आप कुछ नया सीखने की कोशिश नहीं कर रहे है तो अवश्य ही आप कहीं न कहीं फसे हुए है और आप ही है जो इस कैद से खुद को आजाद कर सकते है. स्वयं पर विश्वास रखिए और अपनी समस्याओं को समाधान में बदलिए ।

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है सन इन डीप अर्थात संदीप। दोस्तों आपका besthindilink.com में बहुत-बहुत स्वागत है।

तो चलिए शुरुआत इधर से —–

जंगल के राजा शेर ने एक मीटिंग का आयोजन किया। उस मीटिंग में जंगल के सभी जानवरों को बुलाया गया. शेर के बुलावे पर सभी जानवर एकत्रित होते है।

अपनी परिभाषा बदलिए

शेर ने सभी जानवरों से कहा –

हर रोज हमारे जंगल में कोइ न कोइ समस्या आती ही रहती है। इन समस्याओं के समाधान के लिए मझे अपने राज्य में कुछ बुद्धिमान मंत्रियों की आवश्यकता है, जो कि इस जंगल को सुरक्षित रखने में अपना सहयोग देंगे।

इसके चुनाव के लिए मैं आप सभी को एक कहानी सुनाता हूँ। इस कहानी से मैं आप सभी से प्रश्न करुंगा और जिसका उत्तर मुझे संतुष्ट करेगा, उन्हीं को मंत्री समूह में चुना जायेगा।

तो कहानी इस प्रकार है –

तीन दोस्त होते है। तीनों ही अपने ज्योतिष गुरु की बातों पर बहुत विश्वास करते है। एक दिन ज्योतिष गुरु के द्वारा भविष्यवाणी की जाती है कि  इस पृथ्वी पर बहुत ही संकट आने वाला है। चारों ओर समस्या ही समस्या होने वाली है और इस 2020 के अंत तक पूरी मानवजाति विनाश के निकट पहुँच जायेगी।

यह सुनकर तीनों दोस्त बड़े ही चिंतित स्वर में गुरु जी से कहते है कि –

गुरु जी,  इसका कोइ तो उपाय होगा……….

गुरु जी –

“तुम सभी अपने भाग्य पर भरोसा रखो. जो नियति चाहेगी वही होगा।”

यह कहकर गुरु जी वहाँ से चले जाते है।

तीनों दोस्त स्वयं से विचार करते है –

पहला दोस्त

“मुझे तो अपना भाग्य पता ही है, मेरा भाग्य तो कभी भी मेरा साथ नहीं देता है। मुझे तो पूरा विश्वास है कि इस प्रलय के साथ मेरा अंत जरुर हो जायेगा। “

पहला दोस्त इस डर में ही अपना जीवन गुजारने लगा और इसकी इस बढ़ती हुई चिंता के उसका स्वास्थ्य भी बिगड़ता जा रहा था।

दूसरा दोस्त

“मेरे भाग्य ने हमेशा ही मेरा साथ दिया है। मुझे तो पता है कि मैं इस संकट से अवश्य बच जाऊँगा। मुझे तो डरने की कोइ जरुरत नहीं है।”

दूसरा दोस्त बिना डर के बेफिक्र होकर अपनी जिंदगी बिताने लगा।

तीसरा दोस्त –

“मेरे भाग्य में क्या होगा यह तो मुझे पता नहीं है। जीवन – मृत्यु मेरे हाथ में नहीं है, लेकिन मेरे कर्म मेरे हाथ में जरुर है। वैसे भी गुरु जी ने कहा है कि नियति जो चाहेगी वही होगा।”

तीसरा दोस्त गुरु जी की बात को ध्यान में रखते हुए, अपने जरुरी कामों को प्राथमिकता देते हुए, योजनाबद्ध तरीके से, अपना जीवन व्यतीत करने लगा। ताकि उसे भविष्य में उसे किसी प्रकार का कोइ अफसोस न रहें।

अब ज्योतिष गुरु की कहीं बातों के अनुसार पृथ्वी पर संकट आना शुरु होता है। मानव जीवन बहुत अधिक प्रभावित होता है। और इस प्रभाव में तीनों ही दोस्त  मृत्यु को प्राप्त होते है।

अब राजा शेर सभी जानवर रुपी प्रजा से पूछता है कि –

आप सभी एक एक करके ये बताये कि आपके अनुसार भाग्य का मतलब क्या है?

आप सभी के अनुसार किस दोस्त का फैसला उचित था?

इन दोस्त में से कोन सफल हुआ?

ये सुनकर तोता सिंह तुरंत बोल पड़े कि भाग्य का परिणाम तो पहले दोस्त के अनुसार ही हुआ। मेरे विचार में तो पहले दोस्त का फैसला उचित रहाऔर वही सफल हुआ।

दूसरी तरफ से हिरन कुमार की आवाज आती है कि चाहे भाग्य ने कुछ भी फैसला रहा हो, लेकिन दूसरे दोस्त का सकारात्म्क नजरिया सही था। वह इसी बात पर अडिग था कि उसे कुछ नहीं होगा, जिसके कारण वह चिंतामुक्त रहा।

तभी एक आवाज भालू बाबा की आती है,वो कहते है कि मेरे अनुसार तीसरा दोस्त का ही फैसला बिल्कुल सही था। उसने कर्म को ही प्रथम प्रधानता दी। उसने न तो नकारात्मक नजरिये को अपनाया जिसके कारण उसने अपना समय भी नष्ट नहीं किया। उसने न तो केवल सकारात्मक नजरिये को पकड़ के रखा, जिससे कि वो लापरवाह भी नहीं हुआ। उसने केवल अपना किरदार निभाया. तीसरे दोस्त ने नियति के कर्म को नियति पर छोड़ दिया और अपने कर्म को स्वयं पर। ताकि उसे अपनी जिंदगी का कम से कम अफसोस रहे।

इतने पर भी सभी जानवर अपनी अलग-अलग राय दे रहे थे। कुछ के लिए पहला दोस्त सही था तो कुछ के लिए दूसरा तो कुछ के लिए तीसरा। सभी जानवरों का शोर चारों ओर सुनायी देने लगता है।

तब शेर एक तेज गर्जना करता है ………………………….

और सभी जानवर एक आवाज में शांत हो जाते है। और तेज आवाज में कहता है कि कहानी का आगे का भाग शेष रह गया है, उसे सुनो-

तीनों दोस्त मरने के बाद यमराज के पास पहुँचते है और यमराज से कहते है कि यमराज जी हमें बताये कि हम में से किसका निर्णय उचित था। हम तीनों का ही भाग्य को लेकर अलग अलग नजरिया था। लेकिन फिर भी हम तीनों एक ही स्थान पर एक साथ है। पहले ने कहा कि अनुमान तो मेरा ही सही निकला। दूसरे ने कहा कि नकारात्मक नजरिये के साथ जीना भी कोइ जीवन है। तीसरे ने कहा कि हमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं पर ध्यान देकर ही कार्य करना चाहिए।

तब यमराज बोले तुम तीनों ही शांत हो जाइए। तुम तीनों में से कोइ भी गलत नहीं है। तुम तीनों ने अपने अनुसार भाग्य की अलग अलग परिभाषा बना रखी थी।  तुम तीनों ही अपने स्थान पर सही हो। और तुम्हारी सफलता तुम्हारा अपना नजरिया है। किसी के लिए अपनी प्रवृति के अनुसार नकारात्मक रहना है, तो किसी के लिए केवल सकारात्मक होना है, चाहे वो लापरवाह हो जाये, तो किसी के लिए कर्म है, ताकि उसे कोइ भी अफसोस न रहें।

कहानी की सीख :

यह कहानी हमें बहुत सी सीख देती है –

  1. तीनों दोस्तों की भाग्य की परिभाषा अलग थी। और वह उस परिभाषा के अनुसार ही act कर रहे थे। ये तो साफ है कि जीवन मृत्यु तो हमारे हाथ में नहीं है। लेकिन आपके हाथ में ये जरुर है कि इस जीवन और मृत्यु के बीच आप अपने लिए भाग्य की कोन सी परिभाषा चुनते है। आप किस नजरिये के साथ अपनी जिंदगी जीते हो।
  2. जब हमसे कोइ किसी वस्तु के बारे में बात करता है तो हमारे मत उनके लिए एक जैसे होते है. जैसे कि यदि कोई कलम की बात करता है तो हम सभी ये अच्छे से जानते है की कलम की परिभाषा से मतलब ऐसी वस्तु से है जो  लिखने  के लिए प्रयोग की जाती है। लेकिन जब हम बात करते है भाग्य की तो यहाँ हर कोई अपने अनुभव के अनुसार इसकी अलग ही परिभाषा देता है।

यहाँ परिभाषा के चुनाव करने की बात केवल भाग्य के संदर्भ में ही नहीं है बल्कि यह चुनाव हर उस बात से जो आपको जीवन में आगे बढ़ने से रोक रही है। यदि इस जीवन में ऐसा कुछ भी है जो आपको आगे बढ़ने से रोक रहा है वह है आपके लिए अपने द्वारा बनायी गयी परिभाषाए। जो भी चीज आपको रोक रही है उनकी परिभाषा को बदल दीजिए। जैसे – सफलता,आनंद, सुख, खुशी, संतोष और बहुत कुछ. और इन सभी का सार है ये जीवन।

तो इस जीवन में ऐसा कुछ है जो आपको आगे बढ़ने से रोक रहा है तो जीवन को लेकर आपको अपनी परिभाषा बदलने की जरुरत है.

Change your Definition

  1. आपको यह जो समय मिला है यही सबसे उचित समय है, जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए, अपने goals तक पहुँचने के लिए।

भविष्य में कहीं ऐसी नौबत न आ जाये कि जानवर मिलकर इंसानों की  कहानी सुना रहे हो। हमारी सबसे बडी़ शक्ति हमारा दिमाग है, उसका प्रयोग कीजिए।

क्या इस कहानी में आपको कोइ और सीख भी नजर आ रही है? यदि हाँ, तो comments के माध्यम से जरुर बताइये।

 

क्या आज के दिन में आपने भी सीखा है  कुछ नया?

क्या डेवलप (develop) कर रहे है कोइ नयी स्किलस (skills)?

अपनी जिंदगी की किस परिभाषा को चाहते है बदलना?

इन सभी के बारे में क्या है आपके विचार?

अपनी परिभाषा बदलिए (Change your definition‌) पर आधारित यह प्रेरणादायक कहानी आपको कैसी लगी। आप अपने विचार comment के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते है।

वैसे आपको क्या लगता है कि राजा ने अपने मंत्री समूह के लिए किस जानवर का चुनाव किया होगा?

हिन्दी का सम्मान करें, हिन्दी बोलने में गर्व महसूस करें।

तब तक के लिए –

Feel every moment,

 live every moment,

    Win every moment…

      Kyu ki ye pal phir nahi milne wala…………

– Sun in Deep

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4 Comments

  1. यदि मैं अपने विचार रखो तो राजा ने अपने मंत्री समूह के लिए भालू बाबा का ही चुनाव किया होगा क्योंकि तीसरे दोस्त का ही फैसला बिल्कुल सही था। उसने कर्म को ही प्रथम प्रधानता दी। उसने न तो नकारात्मक नजरिये को अपनाया जिसके कारण उसने अपना समय भी नष्ट नहीं किया। उसने न तो केवल सकारात्मक नजरिये को पकड़ के रखा, जिससे कि वो लापरवाह भी नहीं हुआ। उसने केवल अपना किरदार निभाया. तीसरे दोस्त ने नियति के कर्म को नियति पर छोड़ दिया और अपने कर्म को स्वयं पर। ताकि उसे अपनी जिंदगी का कम से कम अफसोस रहे।

    1. इस कहानी के बारे में अपने विचार शेयर करने के लिए धन्यवाद रंजीत भाई जी।

  2. हा बिल्कुल। 🐻 भालू बाबा की सोच बहुत अच्छी लगी ।

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