Hindi story about self-confidence
सीखते रहने में ही जिंदगी का असली मजा है, अच्छा या बुरा वो पूरी तरह से आप पर ही निर्भर (depend) करता है। अगर हर रोज आप कुछ नया सीखने की कोशिश नहीं कर रहे है तो अवश्य ही आप कहीं न कहीं फसे हुए है और आप ही है जो इस कैद से खुद को आजाद कर सकते है। स्वयं पर विश्वास रखिए और अपनी समस्याओं को समाधान में बदलिए ।
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है सन इन डीप अर्थात संदीप। दोस्तों आपका besthindilink.com में बहुत-बहुत स्वागत है।
तो चलिए शुरुआत इधर से —–
सुमित एक शहरी क्षेत्र में रहता था। उम्र लगभग 25 वर्ष थी। उसका परिवार भी उसके ही साथ था। एक किराये का मकान। भूतल (ground floor) पर उसका कमरा था।
उसके कमरे के दरवाजे के पास, बाहर की ओर गमलों में कुछ पौधे लगाये हुए थे। इनमें से एक गमले में बहुत से सुन्दर फूल खिले हुए थे। इन्हें वो प्रतिदिन पानी देता था। उसे यह कार्य बहुत ही अच्छा लगता था।
एक दिन वह पौधों को पानी देकर कमरे के अन्दर आया। तभी एक अन्जान व्यक्ति सुमित के गमलों के पास अपनी साइकिल रोकता है। उस व्यक्ति ने देखा आस पास कोई नहीं है। वह एक एक करके सभी फूलो को तोड़ने लगा।
सुमित यह सब अन्दर की ओर से शीशे वाले दरवाजे से देख रहा था। सुमित को यह देख बहुत ही गुस्सा आ रहा था। लेकिन सुमित ने उस आदमी से कुछ न कहा। सुमित सोच रहा था कि शायद वह साइकिल सवार कुछ ही फूल लेगा और चले जायेगा। लेकिन यह क्या……..
उस साइकिल सवार ने एक-एक करके सभी फूलों को तोड़ लिया और अपने घर की ओर निकल गया। इसके बाद सुमित को अन्दर ही अन्दर बहुत अधिक गुस्सा आया।
सुमित अपने मन में कह रहा था –
वह व्यक्ति सभी फूलो को तोड़कर ले गया और मैं उसे कुछ कह भी न पाया।
कहानी की सीख –
आप सोच रहे होंगे आखिर इस छोटी सी कहानी में क्या है। अगर आप गौर से देखें तो क्या बता सकते है कि सुमित उस व्यक्ति को फूल तोड़ने से क्यों रोक नहीं पाया।
उत्तर है उसके अन्दर कि झिझक। यह झिझक पैदा होती है कम आत्मविश्वास से।
थोड़ा विचार करें जो व्यक्ति अपने ही घर के फूल तोड़ने को मना नहीं कर पाया जब कि वह ऐसा करना चाहता था। उसके अन्दर आत्मविश्वास की कितनी कमी होगी।
आत्मविश्वास को सही रुप में जाना जाये तो इसका यह तात्पर्य हुआ कि आप को स्वयं पर विश्वास है कि आप यह कार्य कर सकते है। हम किसी भी कार्य को अधिक अच्छे ढंग से तभी कर पायेंगे जब हमने उस कार्य की उतनी ही अच्छी प्रकार से प्रैक्टिस की हो।
अगर बच्चों की बात की जाये तो उन्हें जो भी शुरुआती माहौल अपने चारों ओर मिलता है, वो वही सीखते है। अगर उसे अपने चारों ओर प्रोत्साहन मिलेगा तो उसमें आत्मविश्वास बढ़ेगा। बच्चे का प्रत्येक कार्य में मजाक बनाया जायेगा तो वह संकोच करना ही सीखेगा। यही शुरुआती माहौल उसके वर्तमान और भविष्य के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार रहेगा।
हमें अपने कार्यों को सोच समझ कर करना चाहिए। लेकिन हर कार्य की अपनी समय सीमा है। हमारा निर्णय इतना भी लेट नहीं होना चाहिए कि उसका कोई महत्व भी न रह जाये।
क्या इस कहानी में आपको कोइ और सीख भी नजर आ रही है? यदि हाँ, तो comments के माध्यम से जरुर बताइये।
क्या आज के दिन में आपने भी सीखा है कुछ भी नया?
क्या डेवलप (develop) कर रहे है कोइ नयी स्किलस (skills)??
यदि जबाब हाँ है तो आप सही दिशा में है और जबान नहीं है तो आज से ही शुरुआत कर दीजिए।
आखिर आप अपने चारों ओर किस प्रकार का माहौल तैयार कर रहे है? जिस प्रकार का वातावरण आप अपने चारों ओर बनायेगे वह भी उसी रुप में आपको वापिस मिलेगा।
झिझक (Hindi story about self- confidence) पर आधारित यह प्रेरणादायक कहानी आपको कैसी लगी। आप अपने विचार comment के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते है।
हिन्दी का सम्मान करें, हिन्दी बोलने में गर्व महसूस करें।
तब तक के लिए –
Feel every moment,
live every moment,
Win every moment…
Kyu ki ye pal phir nahi milne wala…………
– Sun in Deep
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