कर्तव्य – दादा और पोते की दिल छू लेने वाली कहानी

कर्तव्य – Grand father and grand son heart touching hindi story

कर्तव्य – Grand father and grand son heart touching hindi story

सीखते रहने में ही जिंदगी का असली मजा है, अच्छा या बुरा वो पूरी तरह से आप पर ही निर्भर (depend) करता है। अगर हर रोज आप कुछ नया सीखने की कोशिश नहीं कर रहे है तो अवश्य ही आप कहीं न कहीं फसे हुए है और आप ही है जो इस कैद से खुद को आजाद कर सकते है। स्वयं पर विश्वास रखिए और अपनी समस्याओं को समाधान में बदलिए ।

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है सन इन डीप अर्थात संदीप। दोस्तों आपका besthindilink.com में बहुत-बहुत स्वागत है।

तो चलिए शुरुआत इधर से —-

रोहन कानपुर की एक प्राइवेट कम्पनी में कार्य करता है। उसका परिवार भी वहाँ उसके साथ ही रहता है। उसकी पत्नि, एक बेटा और उसके वृद्ध पिता जी।

आजकल रोहन के पिता अक्सर बीमार ही रहा करते थे। उम्र अधिक होने की वजह से उनकी तबीयत लगातार खराब होती जा रही थी। रोहन ऑफिस और पिता जी की बीमारी में बहुत अधिक उलझता जा रहा था।

एक दिन रोहन के पिता की तबीयत बहुत अधिक खराब हो गयी। रोहन की पत्‍‌नी ने पिताजी को खाने के लिए कहा। लेकिन उन्होंने इशारे से ही खाने कि लिए मना कर दिया। शायद वह अपनी बात को अपने मुख से कहने में असमर्थ थे। वह मन ही मन यह सोच कर परेशान होते रहते थे कि मैं सभी के लिए बोझ बन गया हूँ। अब वह न तो किसी से अधिक बात करते थे और न ही ठीक प्रकार से खाना खा रहे थे।

बार बार खाने के लिए मना करने पर रोहन और उसकी पत्‍‌नी तंग आ गये और रोहान बढ़े ही जोर से अपने पिता पर चिल्ला उठा। रोहन का पुत्र शौर्य को यह देख अच्छा न लगा। वह अपने दादा जी के सबसे करीब था। शौर्य रसोई से भोजन की थाली लेकर आया। उसने अपने हाथ से रोटी का एक निवाला लिया और अपने दादा जी कि ओर बढ़ाया। दादा जी ने शौर्य का हाथ पकड़ लिया और फिर से इशारे से खाने के लिए मना किया।

जैसे ही शौर्य को दादा जी के हाथ का स्पर्श हुआ तो उसे दादा जी का हाथ बहुत गर्म महसूस हुआ। शौर्य ने जल्द से थर्मामीटर लिया और दादा जी का तापमान चैक किया। देखने पर पता चला कि दादा जी को बहुत तेज बुखार था। बिना देर किये शार्य ने बुखार की दवा अपने दादा जी को दे दी। कुछ ही समय में दादा जी का तापमान सामान्य हो गया।

अब दादा और पोते ने मिलकर एक साथ भोजन किया। दादा जी अब पहले से खुश नजर आ रहे थे।

यह देख रोहन और उसकी पत्‍‌नी अपने आप पर बहुत शर्मिंदा हुआ। वह समझ चुका था कि परेशानी बहुत ही अधिक छोटी थी लेकिन उसने ही उसे बड़ा कर दिया था।

रोहन और उसकी पत्‍‌नी ने पिताजी से माफी माँगी और अब सब कुछ सामन्य हो गया था।

कहानी की सीख –

यहाँ बात तो बहुत छोटी सी है, लेकिन हमें एक बड़ा मैसेज देती है –

हमारे माता पिता के वृद्ध होने पर वे हमारे लिए किसी के काम के नहीं होते है, इस सोच के कारण वे हमें बोझ लगने लगते है। इस वजह से हम उन पर अधिकार जमाना शुरु कर देते है।

शायद हम सब यह भूल जाते है कि जब हम बचपन में अपनी परेशानी को ठीक प्रकार से नही बता पाते थे तो हमारे माता पिता बड़े ही प्यार से हमारी परेशानी को हल करते थे। लेकिन जब माता पिता इतने समर्थ नही होते है कि अपनी परेशानी हमें बता पाये तो यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम भी उनकी परेशानी को उतने ही प्यार से दूर करें। उन्हें ठीक प्रकार से समझें।

हम वह गलती न करें जो कि रोहन कर रहा था। समस्या बहुत ही छोटी सी थी लेकिन रोहन के पास इतना समय नहीं था कि वह कुछ देर अपने पिता जी के साथ बैठकर उनकी समस्या को समाधान में बदल सके।

कर्तव्य-grand-father-and-grand-son-heart-touching-hindi-story

क्या आज के दिन में आपने भी सीखा है  कुछ भी नया?

क्या डेवलप (develop) कर रहे है कोइ नयी स्किलस (skills)??

यदि जबाब हाँ है तो आप सही दिशा में है और जबान नहीं है तो आज से ही शुरुआत कर दीजिए।

कहीं आप भी जाने अनजाने अपने माता पिता को दुखी तो नहीं कर रहे है?

कर्तव्य- (Grand father and grand son heart touching hindi story) पर आधारित यह प्रेरणादायक कहानी आपको कैसी लगी। आप अपने विचार comment के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते है।

हिन्दी का सम्मान करें, हिन्दी बोलने में गर्व महसूस करें।

तब तक के लिए –

Feel every moment,

  live every moment,

    Win every moment……

       Kyu ki ye pal phir nahi milne wala………

      –  Sun in Deep

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