आप सभी को कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay day in hindi) के 24वर्ष पूरे होने की शुभकामनाऐं।
Kargil Vijay day in hindi :
कारगिल विजय दिवस यानि कि भारत के लिए गर्व करने का बहुत बड़ा दिन और साथ ही पाकिस्तान के लिए एक बहुत बड़ी शर्मनाकभरा दिन।
हर दिन में कुछ खास है, हर दिन का अपना अंदाज है। हर दिन कहता एक अलग इतिहास है।
आज है, 26 जुलाई यानि कि कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay day in hindi)। इस दिन के बहाने मैं करूँगा कुछ और पॉइंट्स को कनेक्ट।
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है सन इन डीप अर्थात संदीप। दोस्तों besthindilink.com में आपका बहुत-बहुत स्वागत है……….
तो चलिए शुरुआत इधर से —
Kargil Vijay day in hindi
कारगिल दिवस कब मनाया जाता है :
भारत में यह दिवस प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को विजय दिवस के रुप में सेलिब्रेट करते है।
कारगिल दिवस क्यों मनाया जाता है :
यह दिवस कारगिल युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान और भारत की बड़ी विजय के रूप में मनाया जाता है।
कारगिल युद्ध की शुरुआत :
यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1999 में माह मई से जुलाई तक चला। वैसे तो पाकिस्तान इस षड्यंत्र की कूटनीति बनाने में पहले से ही लगा हुआ था और युद्ध के लिए सही समय का इंतजार कर रहा था। पहली बार 3 मई 1999 को एक एक चरवाहे ने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तान सेना द्वारा घुसपैठ कर कब्जा कर लेने की जानकारी दी थी।
ऑपरेशन बद्र :
ऑपरेशन बद्र पाकिस्तान की ओर से भारतीयों के खिलाफ चलाया गया मिशन था। जिसका उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच कडी़ को तोड़कर, सियाचिन पर अपना अधिकार कर करगिल पर अपना ध्वज फहराना था। इस ऑपरेशन के अंतर्गत पाकिस्त्तान अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा (LOC) के पार भेजने लगा था। इस तरह पाकिस्तानी कारगिल की अनेक महत्वपूर्ण पहाड़ी चोटियों पर अपना कब्जा कर चुके थे।
ऑपरेशन विजय की शुरुआत :
शुरुआत में पाकिस्तान यह दावा कर था कि इस नीति में उसका कोई हाथ नहीं है। उनका कहना था कि LOC क्रॉस करने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी है। लेकिन कुछ समय के बाद भारतीय सेना द्वारा छानबीन करने और युद्ध में मिले documents से यह साफ हो गया कि इस युद्ध के पीछे पाकिस्तान सेना ही है। तब भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान सेना को नियंत्रण रेखा के पार खदेड़ने और पाकिस्तान द्वारा कब्जे किए गयी पहाड़ी चोटियों पर अपना अधिकार करने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया गया।
ऑपरेशन सफेद सागर की भूमिका :
ऑपरेशन विजय को सफल बनाने में ऑपरेशन सफेद सागर की इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह ऑपरेशन भारतीय वायुसेनाओं (Indian Airforce) द्वारा शुरु किया गया था। पाकिस्तानी सैनिक ऊँची चोटियों पर बैठकर भारतीय सैनिकों पर निशाना लगाये हुए थे। भारतीय सैनिक नीचे गहराई में थे जिसके कारण भारतीयों को ऑपरेशन विजय को पूरा करने में समस्या आ रहीं थी। इस समस्या के समाधान के लिए इंडियन ऐरफोर्स ने अपना साथ दिया और ऑपरेशन विजय को आसान बनाया।
इस ऑपरेशन में लड़ाकू विमान मिग 21, मिग 23, मिग 27, मिग 29 और मिराज 2000 का प्रयोग किया गया। पहले इन लड़ाकू विमान की सहायता से दुश्मन की पहचान की गयी और जानकारी collect की गयी। इसके बाद इन विमानों की सहायता से दुश्मन के कैम्प पर हमला कर उन्हें मार गिराया। मिग 29 ने अन्य लड़ाकू विमानों को कवर किया और air defence के काम को भी संभाला। मिराज 2000 ने भी इस इस युद्ध में अहम रोल निभाया। इसकी विशेषता थी इसकी लेजर गाईडिड तकनीकि, जिससे दुश्मन पर सटीक निशाना लगाना काफी आसान हो गया था और जिसने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी।
परिणाम :
पाकिस्तान के साथ अन्य युद्ध की तरह इस युद्ध का परिणाम भी भारतीय सेना के पक्ष में रहा। भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान सेना को मुँहतोड़ जबाब दिया। भारत ने पाकिस्तान द्वारा कब्जे किए गए भारतीय भूमि पर फिर से अपना अधिकार कर लिया।
जानकारी के अनुसार लगभग 18000 फीट की ऊँचाई पर कारगिल की इस लड़ाई में हमारे 527 जवान शहीद हो गये। 13000 से अधिक सैनिक घायल हुए। भारतीय आँकड़ों के अनुसार पाकिस्तान के 700 से ज्यादा सैनिक मारे गये और 1000 से अधिक घायल हुए। 14 जुलाई 1999 को श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने युद्ध जीतने की घोषणा की लेकिन आधिकारिक तौर पर 26 जुलाई 1999 को यह युद्ध समाप्त हुआ।
इस युद्ध में हमारे बहुत से वीर जवान शहीद हुए, जिनका बलिदान हम कभी भूल नहीं पायेंगे। जिनमें से कुछ नाम इस प्रकार है :
- मेजर पद्मपाणि आचार्य (मरणोपरांत ‘महावीर चक्र’ से सम्मानित)
- लेफ्टिनेंट मनोज पांडेय (मरणोपरांत ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित)
- कैप्टन विक्रम बत्रा (मरणोपरांत ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित)
- कैप्टन अनुज नायर (मरणोपरांत ‘महावीर चक्र’ से सम्मानित)
इसके साथ ही सुबेदार योगेन्द्र सिंह और नायब सूबेदार संजय कुमार को जीवित स्थिति में ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया।
अटल बिहारी वाजपेयी जी का सहयोग :
कारगिल युद्ध के दौरान भारत के प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी थे। जिन्होंने हमेशा की तरह एक अच्छे नेतृत्व का परिचय दिया। हर एक परिस्थिति को अच्छे से संभाला और कारगिल युद्ध में जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए अटल जी स्वयं ही करगिल पहुँच गये थे। वह सेना के लिए हमेशा ही प्रेरणा का स्त्रोत बने रहें।
कारगिल युद्ध के तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के करीबी और CIA अधिकारी रहे ब्रूस रीडिल के अनुसार –
पाकिस्तान ने इस युद्ध के दौरान परमाणु हमले की भी तैयारी में था। चार जुलाई 1999 को क्लिंटन की मुलाकात पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ से होने वाली थी। इसी मुलाकात के दौरान क्लिंटन ने जब वाजपेयी को कॉल कर उन्हें इससे जुड़ी जानकारी दी जिस पर अटल जी ने कुछ इस प्रकार का जोरदार जवाब दिया –
“कि मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि भारत का 50 प्रतिशत हिस्सा खत्म हो जाएगा लेकिन यह भी जान लीजिए कि अगर परमाणु हमला हुआ तो फिर कल सुबह तक पाकिस्तान का नामों-निशान दुनिया के नक्शे से मिट जाएगा।”
पाकिस्तान ये तो समझ गया था कि अटल जी डरने वालों में से नहीं है। अटल जी ने जल्द से जल्द राजनीतिक कारवाई को पूरा करते हुए, सेना को युद्ध के लिए आदेश दे दिए थे। वाजपेयी जी ने एक बार भी पीछे मुड़ने की बात नहीं की, उनका एक ही उद्देश्य था इस युद्ध को जीतना।
हमारा सहयोग :
आज हम सभी शांति से अपने घरों में बैठ कर जीवन का आनंद ले पा रहे है क्यों कि इसका बहुत बड़ा कारण वो सभी शूरवीर है जो अपने जीवन की चिंता न कर देश की सीमा पर डटे रहते है। ताकि ये देश और इसके देशवासी सुरक्षित रह सकें।
अगर सीमा पर ये प्रहरी न होते तो ये आतंकवादी अवश्य ही हमें इस संसार से हटा चुके होते। न तो यह सब लिखने के लिए मैं यहाँ होता और न हीं आप सब यह पढ़ने के लिए। न जाने ऐसे कितने अनगिनत नाम होते हैं जिन्हें हम जान ही नहीं पाते और वो हमारे लिए शहीद हो जाते है। तो हम कम से कम यह दिवस किसी न किसी रुप में मनाकर उनको धन्यवाद तो दे ही सकते है। अगर हम सही मायने में अपना सहयोग देना चाहते है तो कम से कम इतना अवश्य करें कि आने वाली पीढ़ीयों को इन बलिदानों की, इस प्रकार के सभी दिवस की जानकारी अवश्य दें। जिससे कि वो जीवन के इस मूल्य को समझ सकें। नहीं तो आज की वर्तमान स्कूली शिक्षा में तो ये सब विलुप्त होता जा रहा है।
आज का रोचक तथ्य :
ऑपरेशन तलवार :
कारगिल युद्ध में ऑपरेशन तलवार की भी विशेष भूमिका रही है। ऑपरेशन तलवार, कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय नेवी द्वारा चलाया गया ऑपरेशन था। जिसके अंतर्गत भारतीय नौ सेना द्वारा उत्तरी अरब सागर से कराची बंदरगाह की घेराबंदी कर दी गयी। क्यों कि पाकिस्तान का अधिकतम व्यापार इसी समुद्री मार्ग द्वारा होता था इसलिए पाकिस्तान के जरुरी सामानों की सप्लाई को रोक कर पाकिस्तानी सरकार पर दबाब बनाया गया। यह ऑपरेशन भी पूरी तरह से कामियाब रहा।
अगर आज के दिन में आपके लिए एसा कुछ भी रहा है खास,
जो आपके लिए रहने वाला है यादगार।
तो आप भी share कर सकते है, हमारे साथ अपने विचार।
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हिन्दी का सम्मान करें, हिन्दी बोलने में गर्व महसूस करें।
तब तक के लिए –
Feel every moment,
live every moment,
Win every moment……
Kyu ki ye pal phir nahi milne wala…
– Sun in Deep
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–*–other July month Posts –*–
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